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बाली से सीखी जाने वाली पांच बातें

बाली के पराक्रम की कथा स्वयं रामायण में लिखी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि वह पहाड़ों से इस तरह खेलता था जैसे कोई गेंद हो, वह पहाड़ों को अपने हाथों से इधर-उधर कर देता था। बाली प्रातः काल उठकर किष्किंधा नगरी से महासागर के ऊपर चारों दिशाओं में भ्रमण करता था और उसे बिल्कुल भी थकान नहीं होती थी। बाली ने दशानन रावण को भी 6 महीने तक अपनी पूंछ से बांधकर रखा था। इतना बलवान होकर भी बाली भगवान राम का बाण लगने से जमीन पर इस प्रकार छटपटा रहा जैसे बिना पानी के मछली छटपटाती है।

बाली की मृत्यु पर रामायण में कहा गया है कि बांनबली, भुजबली या महाबली कोई भी हो लेकिन काल सबसे बलवान होता है, इससे बलवान कोई नहीं होता है। जिसको अपनी शक्ति का बहुत अभिमान था। बाली समझता था इस धरती पर उससे बलवान कोई नहीं है। लेकिन आज वही बाली चिता की गोद में पड़ा हुआ है। किसी को भी अपनी शक्ति और पद घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि समय बड़ा बलवान है और मृत्यु भी अवश्य होनी है।

बाली की पांच बातें जो उसने अपने पुत्र अंगद को बताई। अंगद को कौन नहीं जानता, अंगद हनुमान जी की तरह वीर और पराक्रमी था। अंगद बाली का पुत्र और सुग्रीव का भतीजा था। अंगद ने रावण की सभा में अपना पैर भूमि पर जमा दिया और उसे रावण की सभा में मौजूद कोई भी योद्धा यहां तक कि रावण भी नहीं हिला पाया। बाली ने अपने पुत्र अंगद को पास बुलाया और निम्नलिखित पांच बातें बताई-

1. देश,काल,परिस्थितियों को हमेशा समझकर कार्य करना।

2. बाली ने दूसरी बात बताई किसके साथ कब कहां कैसा व्यवहार करें इसका सही निर्णय तुम्हें ही लेना है।

3. अपने बल का दुरुपयोग नहीं करना।

4. समय के साथ अपने आप को बदलने में बुद्धिमानी है।

5. पसंद, नापसंद सुख दुख को सहन करना, क्षमा भाव के साथ जीवन व्यतीत करना, यही जीवन का सार है।

अंगद के बारे में यह कहा जाता है कि उसने सुग्रीव के साथ रहकर और भगवान श्री राम के नेतृत्व में लंका पर विजय हासिल करने तथा रावण जैसे पापी का अंत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही अपने पिता वाली का नाम तथा अपने चाचा सुग्रीवा भी मान बढ़ाया। अंगद ने आगे चलकर जब भगवान श्री राम वापस अयोध्या लौट गए तब सुग्रीव उनकी सेवा में थे। ऐसे में पूरे वानरों राजा अंगद बने और कार्यभार संभाला।

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