एक राजा की पुत्री जो बचपन में महलों में रही एक राजा की पत्नी माता लक्ष्मी का अवतार माता सीता ने इतने दुख-दर्द सहे कि शायद ही किसी इंसान ने इतना दुख दर्द अपने जीवन में देखा होगा। पहले तो पति को 14 वर्ष का वनवास मिला। वन वन भटकी उसके बाद रावण हर के ले गया। वहां दिन रात 12 बर्ष एक ही पेड़ के नीचे बिताए। सोचो कितना दुख हुआ होगा सर्दी, गर्मी, बरसात कैसे उन्होंने एक पेड़ के नीचे बिताए होंगे, कितनी पीड़ा हुई होगी।
माता सीता के गुणों और व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखने को मिलता है अगर माता सीता की इन 5 बातों को हम अपने जीवन में अपना लेंगे तो कैसी भी परिस्थिति का सामना करने में सक्षम हो जाएंगे ।
वे पांच बातें जो माता सीता के जीवन से सीखने को मिलती हैं-
1. संयुक्त परिवार –
माता सीता के जीवन से हमको शिक्षा मिलती है कि हमें अपने बहन-भाइयों, चाचा-चाची, माता-पिता सभी का आदर करना चाहिए सबसे प्रेम करना चाहिए उनके साथ मिलजुल कर रहना चाहिए। माता सीता ने जन्म से लेकर और ससुराल में अंतिम समय तक अपनी बहनों से कभी अलग नहीं हुई। मायका हो या ससुराल हमेशा संयुक्त परिवार में रही । आजकल परिवारों में अकेले अकेले रहने की परंपरा पड़ चुकी है उसकी बजाय मिलजुल कर एक साथ प्रेम से रहना चाहिए। रामायण में भगवान राम सीता का परिवार हमको यही सिखाते हैं।
2. स्वावलंबी बनें-
सीता माता से हमें सीखना चाहिए हम सभी स्वावलंबी बने। कैसे सीता माता ने वन में रहकर अपने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, उनको पाल पोषकर बड़ा किया कैसे उनमें इंसानियत के गुण व संस्कार पोषित किये कैसे उनमें बाल्यकाल से ही ज्ञान की गंगा प्रवाहित की कैसे उनको छोटी सी उम्र में महान योद्धा बनाया और कैसे उनको वन में छोटे-छोटे काम करना सिखाया। शायद सीता माता धरती की पहली सिंगल मदर थीं जिन्होंने बिना परिवार बिना पति के अपने बच्चों को बड़ा किया। हमारी आज की माता व बहनें भी अपने बच्चों को स्वावलंबी बनने की शिक्षा दें।
3. आत्मसम्मान-
हम सबको सीता माता से यह गुण सीखना चाहिए पहले स्वयं हमको हमारा सम्मान करना होगा तभी दुनिया हमको सम्मान देगी। सीता माता की परित्याग से हमको यही सीख मिलती है चाहे वजह कुछ भी रही हो। घर छोड़ने की जब हमने एक बार कोई निर्णय कर लिया है तो उस पर अडिग रहें जैसे सीता माता अयोध्या छोड़ने के बाद फिर कभी अयोध्या वापस नहीं लौटी। जब हम खुद के सम्मान की रक्षा करेंगे तभी यह संसार हमें सम्मान देता है। भगवान राम ने माता सीता का कभी परित्याग नहीं किया ये निर्णय स्वयं सीता माता का था माता सीता ने अपने आत्मसम्मान की रक्षा हमेशा की।
4. विपरीत परिस्थिति में धैर्य रखें- इतिहास साक्षी है कि सीता माता के अंदर कितना धैर्य व सहनशीलता थी माता सीता ने कभी हालातों से समझौता करकर हार नहीं मानी। रावण जब सीता माता का अपहरण करके लंका ले गया तब दिन रात, चौबीसों घंटे 365 दिन सीता माता को अशोक वाटिका में एक पेड़ के नीचे बिताना पड़ा गर्मी हो या बरसात हो हर मौसम में सीता माता ने काफी दुख झेले पर फिर भी सीता माता ने रावण की एक भी बात नहीं मानी वह लंका में रहकर पवित्र बनी रही धैर्य स्त्रियों का गहना होता है आप स्त्री हो पुरुष हो आपको देवी सीता का यह गुण अवश्य ग्रहण करना चाहिए अगर आप को महान बनना है बड़ा बनना है तो धैर्यवान बनना चाहिए।
5. दया और करुणा–
सीता माता के अंदर दया और करुणा का भाव कूट-कूटकर भरी थी वह पशु पक्षियों, जानवरों या इंसान हो वह सभी के प्रति करुणा का भाव रखती थी। अगर किसी को घायल देखती तो तुरंत अपने हाथों से उनका उपचार करती उनको औषधि मरहम पट्टी देती कोई भूखा हो तो तुरंत उनके भोजन का प्रबंध करती वह किसी को भी कष्ट में नहीं देख सकती थी इसका उल्लेख रामायण में भी मिलता है। माता सीता के जीवन से मिलती है कि हमारे अंदर भी प्राणियों की प्रति प्रेम और सेवा के भाव होने चाहिए वह इंसान ही क्या जिसके अंदर दया और करुणा नहीं है।
धन्यवाद।