कर्मों का फल तो भोगना ही पड़ता है, प्रेरक प्रसंग
कर्मों की गति बड़ी गहन होती है कर्म की गति जानने में देवता भी समर्थ्य नहीं है मानव की तो बात ही क्या है काल के पास में बधे हुए…
कर्मों की गति बड़ी गहन होती है कर्म की गति जानने में देवता भी समर्थ्य नहीं है मानव की तो बात ही क्या है काल के पास में बधे हुए…
प्यारे मित्रों मेने श्रीमद्भागवत गीता तब तक नहीं पढी़ थी जब तक मुझे ज्ञान नहीं हुआ कि हम सब आत्माएं हैं और यह जिंदगी हम आत्माओं के लिए एक इम्तिहान…
अगर हम अपने जीवन में देखें तो हमारे जीवन में भी कुछ मुश्किलें आती हैं हम उनका सामना नहीं करते हम उनको ही दोस देते हैं ये मुश्किलें हमें आगे बढ़ाने और मजबूत बनाने के लिए ही आती है हमें हर मुश्किल को सकारात्मक तरीके से देखना चाहिए क्योंकि हर चीज़ कुछ ना कुछ सीखा कर ही जाती है हर व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख का आना जाना बना रहता है।
छोटी सी जिंदगी है हर बात में खुश रहो जो चेहरा पास ना हो उसकी आवाज में खुश रहो कोई रूठा हो तुमसे उसके इस अंदाज में भी खुश रहो जो लौट कर नहीं आने वाले उन लम्हों की याद में खुश रहो। कल किसने देखा है अपने आज में खुश रहो खुशियों का इंतजार किस लिए दूसरों की मुस्कान में खुश रहो क्यों तड़पते हो हर पल किसी के साथ को कभी अपने आप में खुश रहो छोटी सी जिंदगी है हर हाल में खुश रहो।
समय जिसका साथ देता है वह बड़ों बड़ों को मात देता है, अमीर के घर पर बैठा कौआ भी सबको मोर लगता है और गरीब का भूखा बच्चा भी सबको चोर लगता है।
श्री कृष्ण कहते हैं मैं किसी के भाग्य का निर्माता नहीं हूं। व्यक्ति स्वयं ही अपना भाग्य लिखता है, आप जैसा बीज बोएगे वैसी ही फसल काटेंगे, आप जैसा कर्म करेंगे वैसे ही परिणाम मिलेंगे। यदि विद्यार्थी मन लगाकर पढ़ाई करेंगे तो परीक्षा में सफल होंगे इसलिए हर व्यक्ति का भाग्य तभी बदलेगा जब वो अच्छे कर्म करेगा।
एक बार इंसान ने कोयल से कहा तू काली ना होती तो कितनी अच्छी होती, सागर से कहा तेरा पानी खारा ना होता तो कितना अच्छा होता, गुलाब से कहा तुझ में कांटे ना होते तो कितना अच्छा होता तो तीनों एक साथ बोले इंसान अगर तुझ में दूसरों की कमियां देखने की आदत ना होती तो तू भी कितना अच्छा होता।
सब कुछ तोड़ देना लेकिन कभी किसी की उम्मीद और भरोसा मत तोड़ना क्योंकि इनमें इंसान की आवाज नहीं निकलती पर तकलीफ हद से ज्यादा होती है।
मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है। मैं श्रेष्ठ हूं, यह आत्मविश्वास है लेकिन “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूं” यह अहंकार है।
गलती जीवन का एक पन्ना है लेकिन रिश्ता पूरी किताब है, जरूरत पड़ने पर गलती का एक पन्ना फाड़ देना लेकिन एक पन्ने के लिए पूरी किताब मत खोना।